ये कुत्ते विलुप्त हो रही प्रजातियों को बचाते हैं

न्यूजीलैंड के पर्यावरण संरक्षणवादी रिचर्ड हेनरी ने 1890 के दशक में दुर्लभ स्थानीय पक्षियों को बचाने के लिए अपने पालतू कुत्ते को प्रशिक्षित किया था.

दूसरे देशों से न्यूजीलैंड आए स्टोट (वीजल फ़ैमिली का छोटा मांसाहारी जीव) किवी और काकापो (तोता) पक्षियों को मारकर ख़त्म कर रहे थे.

हेनरी ने इन पक्षियों को रिजॉल्यूशन द्वीप पहुंचाने के लिए अपने कुत्ते पर भरोसा किया.

तैरने वाले स्टोट ने उनके इन शुरुआती प्रयासों को विफल कर दिया, लेकिन उनके तरीके ने 1998 में सरकार समर्थित कंजर्वेशन डॉग प्रोग्राम का रास्ता तैयार किया.

इनकी नाक है सबसे खास
कुत्ते फुर्तीले और वफ़ादार होते हैं. उनमें ऐसी कई खूबियां होती हैं जो उन्हें फील्ड वर्क में दमदार बनाती हैं. उनकी सबसे बड़ी खूबी है उनकी नाक यानी सूंघने की ताक़त.

वैसे इंसानों की नाक भी कम नहीं है. वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि हम इंसान 10 खरब अलग-अलग गंधों की पहचान कर सकते हैं. लेकिन कुत्ते इंसानों से कहीं आगे हैं.

उनकी नाक की नम सतह गंध के अणुओं को फंसा लेती है. कुत्ते की नाक में गंध पहचानने वाले 22 करोड़ रिसेप्टर होते हैं, जबकि इंसानों में उनकी संख्या 50 लाख ही होती है.

ये रिसेप्टर गंध की पहचान भी करते हैं और दिमाग को संदेश भी भेजते हैं. गंध का विश्लेषण करने में कुत्ते इंसानों के मुक़ाबले अपने दिमाग का 40 गुना ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं.

कुत्ते जो हवा सांस के ज़रिए लेते हैं उसे फिल्टर करके नाक के पिछले हिस्से में पहुंचाते हैं. वहां वे किसी खास गंध की पहचान सुरक्षित रख सकते हैं और बाकी हवा बाहर निकाल देते हैं.

मल सूंघकर विलुप्त हो रहे जीवों को बचाते हैं
अगर आप कुत्ते के मालिक हैं तो गंदी चीजों को सूंघकर उन्हें पहचानने की उनकी आदत के बारे में ज़रूर जानते होंगे.

अगली बार अगर आपका कुत्ता किसी बदबूदार चीज़ के इर्द-गिर्द लोटने लगे तो उन कुत्तों के बारे में सोचिएगा जिनको मल सूंघकर विलुप्त हो रहे जीवों को बचाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है.

संरक्षण में लगे कुत्तों के बारे में हुए वैज्ञानिक अध्ययनों की समीक्षा के मुताबिक आधे कुत्ते मल की गश्त में लगे हैं.

दुनिया भर में कुत्तों ने मल सूंघने की ताक़त से स्नो लेपर्ड, कोअला (भालू), गोरिल्ला और यहां तक कि हत्यारी व्हेलों का पता लगाने में वैज्ञानिकों की मदद की है.

जेनिफ़र हार्टमन वाशिंगटन यूनिवर्सिटी की कंजर्वेशन केनाइन फ़ैसिलिटी (CK9) की शोध वैज्ञानिक हैं. यहां 20 से ज़्यादा प्रशिक्षित स्निफ़र कुत्ते हैं.

CK9 टीम को किलर व्हेल (orca) के मल का पता लगाने का मुश्किल काम मिला है, जो समुद्र की सतह पर सीमित समय के लिए तैरता है.

हार्टमन बताती हैं कि उनकी टीम हवा की दिशा और ज्वार आने के टाइमटेबल का इस्तेमाल करके पानी के बहने की गति को समझती है. नाव के कैप्टन नाव को हवा की दिशा के लंबवत (90 डिग्री पर) चलाते हैं.

स्निफ़र कुत्ता और उसका हैंडलर नाव के सबसे अगले हिस्से पर बैठते हैं. कुत्ते के व्यवहार के आधार पर हैंडलर कैप्टन को इशारा करता है और उसी हिसाब से नाव की दिशा को समायोजित किया जाता है.

किलर व्हेल के मल का पता लगाकर और उसके सैंपल की जांच करके वैज्ञानिक व्हेल की सेहत की जांच कर सकते हैं.

खाद्य आपूर्ति बाधित होने, प्रदूषण और समुद्री यातायात बढ़ने से दक्षिणी गोलार्ध के इन निवासियों की तादाद घट रही है.

इस सहयोग के बदले कुत्तों को उनका पसंदीदा ट्रीट मिलता है. हार्टमन कहती हैं, "टारगेट गंध का पता लगाने के बाद हम उनके साथ बॉल खेलकर उनको पुरस्कृत करते हैं."

"वे किसी भी नस्ल के हों, किसी भी आकार के हों, उनमें एक चीज समान होती है. सभी गेंद खेलने के लिए जुनूनी होते हैं."

हार्टमन बताती हैं कि 98 फीसदी कुत्ते बचाव आश्रयों से आते हैं, जहां उनके मालिक उन्हें छोड़ गए हैं.

पिल्ले भी कार्यक्रम के लिए बहुत ज़रूरी हैं. लेकिन हैंडलर को धीरज रखकर उन पर कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.

हार्टमन कहती हैं, "कंजर्वेशन डॉग और हैंडलर की जोड़ी काम की सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है."

Comments

Popular posts from this blog

جامعة واشنطن: ذروة وفيات كورونا في الولايات المتحدة بعد أسبوعين

राफेल पर SC के फैसले में बाकी है विपक्ष के पास विरोध की गुंजाइश?

肺炎疫情:美国总统特朗普的注射消毒剂“冷笑话”