राफेल पर SC के फैसले में बाकी है विपक्ष के पास विरोध की गुंजाइश?
राफेल डील को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हंगामा मच गया है. वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट के फैसले को गलत बताया है. वहीं, संसद में कांग्रेस, टीएमसी समेत पूरा विपक्ष जेपीसी की मांग पर अड़ा हुआ है. यही नहीं, कांग्रेस ने विमानों की कीमत को फिर से मुद्दा बनाने की कोशिश की है. कांग्रेस का कहना है कि हम कभी सुप्रीम कोर्ट नहीं गए. हम जेपीएसी की मांग शुरू से कर रहे हैं.
कोर्ट के इस फैसले पर विश्लेषकों की राय है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने संवैधानिक दायरे में रहते हुए फैसला सुनाया है. कोर्ट मामले की तह तक नहीं गई है. जिस कारण विवाद था यानि बेंचमार्क प्राइज के मामले में कोर्ट ने दखल देने से ही मना कर दिया है.
बेंचमार्क प्राइज को लेकर था विवाद
बीते 15 नवंबर को कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया था, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफसरों, रक्षा मंत्री और रक्षा खरीद परिषद की राय के खिलाफ जाकर लड़ाकू विमानों के 'बेंचमार्क प्राइज' (आधार मूल्य) को 39,422 करोड़ से बढ़ाकर 62,166 करोड़ रुपये कर दिया. बीजेपी बेंचमार्क प्राइज को बढ़ाकर अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को फायदा पहुंचा रही है.'' इस दौरान सुरजेवाला ने जीपीसी की मांग की थी.
आज कोर्ट ने बेंचमार्क प्राइज को लेकर कोई फैसला नहीं सुनाया. कोर्ट ने कहा कि विमान की कीमत देखना हमारा काम नहीं है. यानि कोर्ट ने उस कांग्रेस के उस आरोप पर कोई फैसला नहीं सुनाया.
अब क्या कर सकती है कांग्रेस
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी कांग्रेस बैकफुट पर नहीं आई है. कांग्रेस शुरू से ही बेंचमार्क प्राइज को लेकर आरोप लगाती रही है. साथ ही वह इसकी जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग करती आ रही है. कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस और पूरा विपक्ष फिर से जेपीसी की मांग कर रही है.
कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सारी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि राफेल सौदे में कोई संदेह नहीं है. राफेल की गुणवत्ता को लेकर कोई सवाल नहीं है. हमने सौदे की पूरी प्रक्रिया पढ़ी है. विमान देश की जरूरत है. विमान की कीमत देखना हमारा काम नहीं है. हम सरकार को आदेश नहीं दे सकते हैं कि वह कितने विमान खरीदेगी.
कोर्ट के इस फैसले पर विश्लेषकों की राय है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने संवैधानिक दायरे में रहते हुए फैसला सुनाया है. कोर्ट मामले की तह तक नहीं गई है. जिस कारण विवाद था यानि बेंचमार्क प्राइज के मामले में कोर्ट ने दखल देने से ही मना कर दिया है.
बेंचमार्क प्राइज को लेकर था विवाद
बीते 15 नवंबर को कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया था, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफसरों, रक्षा मंत्री और रक्षा खरीद परिषद की राय के खिलाफ जाकर लड़ाकू विमानों के 'बेंचमार्क प्राइज' (आधार मूल्य) को 39,422 करोड़ से बढ़ाकर 62,166 करोड़ रुपये कर दिया. बीजेपी बेंचमार्क प्राइज को बढ़ाकर अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को फायदा पहुंचा रही है.'' इस दौरान सुरजेवाला ने जीपीसी की मांग की थी.
आज कोर्ट ने बेंचमार्क प्राइज को लेकर कोई फैसला नहीं सुनाया. कोर्ट ने कहा कि विमान की कीमत देखना हमारा काम नहीं है. यानि कोर्ट ने उस कांग्रेस के उस आरोप पर कोई फैसला नहीं सुनाया.
अब क्या कर सकती है कांग्रेस
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी कांग्रेस बैकफुट पर नहीं आई है. कांग्रेस शुरू से ही बेंचमार्क प्राइज को लेकर आरोप लगाती रही है. साथ ही वह इसकी जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मांग करती आ रही है. कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस और पूरा विपक्ष फिर से जेपीसी की मांग कर रही है.
कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सारी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि राफेल सौदे में कोई संदेह नहीं है. राफेल की गुणवत्ता को लेकर कोई सवाल नहीं है. हमने सौदे की पूरी प्रक्रिया पढ़ी है. विमान देश की जरूरत है. विमान की कीमत देखना हमारा काम नहीं है. हम सरकार को आदेश नहीं दे सकते हैं कि वह कितने विमान खरीदेगी.
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