इंटरपोल के चुनाव में दक्षिण कोरिया से हारा रूस
दुनियाभर की पुलिस संस्थाओं के संगठन इंटरपोल के नए प्रमुख का चुनाव हो गया है. दक्षिण कोरियाई नागरिक किम जोंग-यैंग को इस पद के लिए चुना गया है.
किम ने रूस के एलेक्जेंडर प्रोकोपचुक को मात दी. एलेक्जेंडर इंटरपोल के प्रमुख पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे थे. उन पर आरोप हैं कि उन्होंने रूस की आलोचना करने वालों के ख़िलाफ़ इंटरपोल के अरेस्ट वॉरंट का इस्तेमाल किया है.
रूस ने इन नतीजों पर नाराजगी जताई है और कहा है कि वोटिंग के दौरान बहुत अधिक हस्तक्षेप हुआ.
इसी साल सितंबर महीने में इंटरपोल के पूर्व प्रमुख मेंग होंगवेई अपनी चीन यात्रा के दौरान लापता हो गए थे. बाद में चीन ने इस बात की पुष्टि की थी कि होंगवेई उनके कब्ज़े में हैं और उन पर रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं जिसकी जांच की जा रही है.
कौन हैं किम जोंग-यैंग?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 57 साल के किम को इंटरपोल की आमसभा में 101 में से 61 मत प्राप्त हुए. इंटरपोल ने उनकी जीत की पुष्टि की है.
आपको ये भी रोचक लगेगा
बुज़ुर्गों का 'भोग विलास' समाज को क्यों नहीं आता रास?
कंगारुओं से ज़्यादा रन बनाकर भी कैसे हारी टीम इंडिया?
नोटबंदी से खेती बर्बाद होने की रिपोर्ट पर हंगामा
असली 'ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान' जिनसे डरते थे अंग्रेज़
किम दक्षिण कोरिया में पुलिस अफ़सर रह चुके हैं और एक बार दक्षिण कोरिया के सबसे अधिक आबादी वाले इलाक़े गियॉन्गी के पुलिस प्रमुख भी रह चुके हैं.
इससे पहले वह इंटरपोल के उप-प्रमुख थे और मेंग होंगवेई की गुमशुदगी के बाद से इंटरपोल के कार्यवाहक प्रमुख के तौर पर काम संभाल रहे थे. वे मेंग होंगवेई के कार्यकाल के बचे हुए दो साल तक इस पद पर बने रहेंगे.
हालांकि इस पद पर उनका रहना एक तरह से महज़ रस्मअदायगी भर ही माना जाएगा, क्योंकि इंटरपोल के रोजाना के काम की ज़िम्मेदारी महासचिव जरगेन स्टॉक के हाथों में रहेगी.
चुनाव के बाद किम ने कहा, ''मौजूदा वक़्त में दुनिया के सामने आम जनता की सुरक्षा से जुड़ी कई नई चुनौतियां हैं. इन चुनौतियों से पार पाने के लिए हमें स्पष्ट नज़रिए की ज़रूरत है. हमें भविष्य के लिए भी योजनाएं बनानी होंगी.''
प्रोकोप्चुक रूस के जनरल हैं और उन्होंने कई साल तक रूस के गृह मंत्रालय में काम किया है.
जब वे मॉस्को में इंटरपोल के ब्यूरो चीफ़ थे तब उन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने इंटरपोल के अंतरराष्ट्रीय अरेस्ट वॉरंट जिसे इंटरपोल की भाषा में 'रेड नोटिस सिस्टम' कहा जाता है, उसका ग़लत इस्तेमाल किया था और इसके ज़रिए उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचकों को निशाना बनाया था.
हालांकि वो इंटरपोल के चार उप प्रमुखों में से एक रहे और उन पर लगा कोई भी आरोप साबित नहीं हो सका.
मॉस्को का कहना था कि प्रोकोप्चुक इंटरपोल के उप प्रमुख बने रहेंगे और यूरोप का प्रतिनिधित्व करेंगे.
किम ने रूस के एलेक्जेंडर प्रोकोपचुक को मात दी. एलेक्जेंडर इंटरपोल के प्रमुख पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे थे. उन पर आरोप हैं कि उन्होंने रूस की आलोचना करने वालों के ख़िलाफ़ इंटरपोल के अरेस्ट वॉरंट का इस्तेमाल किया है.
रूस ने इन नतीजों पर नाराजगी जताई है और कहा है कि वोटिंग के दौरान बहुत अधिक हस्तक्षेप हुआ.
इसी साल सितंबर महीने में इंटरपोल के पूर्व प्रमुख मेंग होंगवेई अपनी चीन यात्रा के दौरान लापता हो गए थे. बाद में चीन ने इस बात की पुष्टि की थी कि होंगवेई उनके कब्ज़े में हैं और उन पर रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं जिसकी जांच की जा रही है.
कौन हैं किम जोंग-यैंग?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 57 साल के किम को इंटरपोल की आमसभा में 101 में से 61 मत प्राप्त हुए. इंटरपोल ने उनकी जीत की पुष्टि की है.
आपको ये भी रोचक लगेगा
बुज़ुर्गों का 'भोग विलास' समाज को क्यों नहीं आता रास?
कंगारुओं से ज़्यादा रन बनाकर भी कैसे हारी टीम इंडिया?
नोटबंदी से खेती बर्बाद होने की रिपोर्ट पर हंगामा
असली 'ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान' जिनसे डरते थे अंग्रेज़
किम दक्षिण कोरिया में पुलिस अफ़सर रह चुके हैं और एक बार दक्षिण कोरिया के सबसे अधिक आबादी वाले इलाक़े गियॉन्गी के पुलिस प्रमुख भी रह चुके हैं.
इससे पहले वह इंटरपोल के उप-प्रमुख थे और मेंग होंगवेई की गुमशुदगी के बाद से इंटरपोल के कार्यवाहक प्रमुख के तौर पर काम संभाल रहे थे. वे मेंग होंगवेई के कार्यकाल के बचे हुए दो साल तक इस पद पर बने रहेंगे.
हालांकि इस पद पर उनका रहना एक तरह से महज़ रस्मअदायगी भर ही माना जाएगा, क्योंकि इंटरपोल के रोजाना के काम की ज़िम्मेदारी महासचिव जरगेन स्टॉक के हाथों में रहेगी.
चुनाव के बाद किम ने कहा, ''मौजूदा वक़्त में दुनिया के सामने आम जनता की सुरक्षा से जुड़ी कई नई चुनौतियां हैं. इन चुनौतियों से पार पाने के लिए हमें स्पष्ट नज़रिए की ज़रूरत है. हमें भविष्य के लिए भी योजनाएं बनानी होंगी.''
प्रोकोप्चुक रूस के जनरल हैं और उन्होंने कई साल तक रूस के गृह मंत्रालय में काम किया है.
जब वे मॉस्को में इंटरपोल के ब्यूरो चीफ़ थे तब उन पर आरोप लगे थे कि उन्होंने इंटरपोल के अंतरराष्ट्रीय अरेस्ट वॉरंट जिसे इंटरपोल की भाषा में 'रेड नोटिस सिस्टम' कहा जाता है, उसका ग़लत इस्तेमाल किया था और इसके ज़रिए उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचकों को निशाना बनाया था.
हालांकि वो इंटरपोल के चार उप प्रमुखों में से एक रहे और उन पर लगा कोई भी आरोप साबित नहीं हो सका.
मॉस्को का कहना था कि प्रोकोप्चुक इंटरपोल के उप प्रमुख बने रहेंगे और यूरोप का प्रतिनिधित्व करेंगे.
Comments
Post a Comment